hindi kahani story
बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताय कहानी
शेर, गीदड़ और मूर्ख गधा : पंचतंत्र की कहानी
रमाकांत जी गाँव के बहुत बडे जमीदार हुआ करते थे।उनकी जमीदारी के किस्से सारे गाँव में बहुत ही मशहूर थी।ठीक उसी तरह जैसे दूर से सुन भर लेने से कोयल की आवाज पहचान ली जाती हैं ठीक वैसे ही जमीन पर दूर दूर ...
मुनष्य के लिए असम्भव हो। पुरातन कहानियों के चरित्र ऐसे होते हैं जो असम्भव कार्य
की ‘शव यात्रा', 'दूसरे के पैर', महीपसिंह की 'काला बाय, गोरा बाय', आदि कहानियाँ
कहानियों का विषय बनाया मानव के अन्तर्द्वन्द्व को केन्द्र में रखने के कारण इन
क्रोध और वेदना के कारण उसकी वाणी में गहरी तलख़ी आ गई थी और वह बात-बात में चिनचिना उठता था। यदि उस समय गोपी न आ जाता, तो संभव था कि वह किसी बच्चे को पीट कर अपने दिल का ग़ुबार निकालता। गोपी ने आ कर दूर से ही पुकारा—'साहब सलाम भाई रहमान। कहो क्या बना रहे विष्णु प्रभाकर
(एक) "बंदी!" "क्या है? सोने दो।" "मुक्त होना चाहते हो?" "अभी नहीं, निद्रा खुलने पर, चुप रहो।" "फिर अवसर न मिलेगा।" "बड़ा शीत है, कहीं से एक कंबल डालकर कोई शीत से मुक्त करता।" "आँधी की संभावना है। यही अवसर है। आज मेरे बंधन शिथिल जयशंकर प्रसाद
ब्राह्मणी और नेवला : पंचतंत्र की कहानी
कहानी लेखकों ने विदेशी और बंगला कहानियों के प्रभाव में आकर हिन्दी भाषा में भी
''ताऊजी, हमें लेलगाड़ी (रेलगाड़ी) ला दोगे?" कहता हुआ एक पंचवर्षीय बालक बाबू रामजीदास की ओर दौड़ा।बाबू साहब ने दोंनो बाँहें फैलाकर कहा—''हाँ बेटा,ला देंगे।'' उनके इतना कहते-कहते बालक उनके निकट आ गया। उन्होंने बालक को गोद में उठा लिया और उसका मुख चूमकर विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक'
आदि अनेक कहानीकारों की रचनाएं बहुत प्रसिद्ध हुई ।
मुंशी प्रेमचन्द को रखकर हम तीन चरणों में बाँटते हैं -
धन से बढकर मेहनत ही सफलता की कुंजी है हिन्दी कहानी